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नमस्कार आपका सवाल है कि क्या बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में छोड़ देना सही है देखिए जरा भी सही नहीं है क्योंकि यह बात था मगर खुद पर ले तो हम भी कभी वृद्ध होंगे अगर हमें हमारे बच्चे जिनको हम अब बड़े नाथ से पाल रहे हैं और वह हमें वृद्ध आश्रम में छोड़ जाए तो हमें कैसा अनुभव रहेगा बस इतने उदाहरण मात्र से इंसान को समझ जाना चाहिए कि तेरी युवा बने रहने का अमर आशीर्वाद किसे भी प्राप्त नहीं है इसलिए बुजुर्गों का सम्मान करें उनसे प्यार करें उनकी केयर करें उनकी रिस्पेक्ट करें क्योंकि उन्हीं के हाथों में पल बैठकर हम पढ़े हुए हैं और उन्होंने ही हमें यह दुनिया दिखाई है जो हम जी रहे हैं धन्यवाद नमस्कार
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बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में रखना ठीक नहीं है आखिरकार आपको उन्होंने पाला है आप उनको साथ रखें लेकिन अगर आपके घर में उनको बता 4:00 हो रहा है और खाना नहीं मिल रहा और उनकी बुरी हालत है तब तो घर से ज्यादा ब्रजभाषा में बैठा है कम से कम उम्र की उम्र के बाद लोग बोलेंगे दिल लग जाएगा अपने मां बाप की सेवा करते हो नहीं छोड़ना चाहिए बिल्कुल नहीं छोड़ना चाहिए लेकिन अगर आपने बिल्कुल दुखी करके आना तो पैटर्न खोलो
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अपने क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही है मैं इसके लिए सिर्फ इतना ही कहूंगा कि यह जो प्रश्न है इस पर अपने आप को रख कर देखिए कल जब आपके बच्चे बड़े होंगे और वह आपको वृद्ध आश्रम में छोड़ते हैं परिवार के रहते हुए आपके बच्चों के होते हुए आप वृद्ध आश्रम में रहते हैं तो आपको कैसा महसूस होता है तो ठीक उसी स्थिति पर रखकर विचार करिए यह बिल्कुल भी उचित नहीं है मैं ही अगर अपने आप पर यह प्रश्न रख कर बात करता हूं तो मां बाप जिन्होंने पैदा किया है जिन्होंने संस्कार दिए हैं जिन्होंने पाला है पूछा है आज हमें इस स्थिति तक पहुंचाया है क्या इसलिए आज उनकी सेवा करने की स्थिति आई है उम्र आई है कि हम उनकी इस बुजुर्ग उम्र की स्थिति में सेवा करें और उस स्थिति में हम उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ा है सिर्फ अपनी आकांक्षाएं अपने आनंद जीवन के लेने के लिए यह बहुत बढ़िया पाप है इससे बड़ा पाप मुझे नहीं लगता जीवन में हो सकता है और वह मां-बाप भी कभी सुखी नहीं होंगे कभी आनंदन नहीं होंगे आप जिनके साथ ऐसा करेंगे नेचुरल ली वह अपने बच्चों को यह बच्चों के प्रति तो गलत भावना किसी मां बाप की नहीं होती लेकिन मां-बाप का दिल अंदर से बहुत दुखी होता है बहुत रोता है इसलिए ऐसा पाप कर्म मत करिए जो सेवा हो सकती है मां-बाप के रहते हुए आप उनकी सेवा करिए यह सेवा बड़े भाग्य वालों को मिलती है हर किसी के जीवन में यह सेवा नहीं होती हरिओम
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आपका सवाल है कि क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही है तो मेरे विचार में तो यह सोचना भी बहुत गलत है कि आप अपने घर के बड़े बुजुर्गों को किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ दें ऐसा विचार आना भी बहुत गलत है जिन हमारे घर के बड़े बुजुर्गों ने आपको सूरज जीवन दिया आपकी जिंदगी के लिए अपनी जिंदगी कुर्बान कर दी है पूरी जिंदगी आपको पाल पोस कर बड़ा किया कितने तारीख तक मैसेज किए हैं आपके खुद के बच्चों के लिए आप सैक्रिफाइस कर रहे हैं आप उस चीज को नहीं समझ पा रहे हैं अगर तो बहुत ही गलत है यह अगर आप अभी सोच रहे हैं अपने घर के बड़े बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में जाने के लिए तो आप अपने आने वाली जनरेशन को नई पीढ़ी को क्या शिक्षा दे रहे हैं कल को आपके आने वाली नई पीढ़ी भी क्या करें कि आपको जाकर की व्यथा आश्रम ही छोड़ कर के आ जाएगी सोच कर देखिए हम खुद अपने आने वाली पीढ़ी के लिए उदाहरण बन रहे हैं यदि आप ऐसा विचार भी लाते हैं बहुत गलत है जब हमारे घर के बड़े बुजुर्गों ने अपनी जिंदगी में से अपनी भागदौड़ वाली जिंदगी में से हमें समय लिया है हम उन्हें क्यों नहीं दे सकते हैं समय देना चाहिए है बिल्कुल देना चाहिए है समय और हमें उनका ध्यान भी रखना चाहिए हैं ऐसे वक्त में जिंदगी के इस पड़ाव में उन्हें अकेलेपन की नहीं उन्हें हमारे साथ की जरूरत है तो बेहतर यही है कि उन्हें अपने साथ रखें प्यार दे और उनका सहारा बने आपका दिन शुभ रहे धन्यवाद
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क्या बुजुर्गों को 10:00 अनेकों देना सही बिल्कुल सही नहीं है मैं इसको पुरजोर विरोध करता हूं मेरे हिसाब से तो बुजुर्गों को छोड़ना बिल्कुल सही नहीं क्योंकि आज व्रत है लेकिन जवानी उसने अपनी बगिया खड़ी की है उसी के फल स्वरुप हमारी बगिया के फूल अमर पुत्र हमारी पुत्रवधू पुत्र के बच्चे हम वही उसको परिवार समझते अब बुजुर्गों को भी आपको छोड़ देंगे तो इसका मतलब यह हुआ कि जो हमारे हिंदुस्तान परिवार की परिभाषा है कि अगले कुछ तो फिर समझाया जाए परिवार को तो बुजुर्ग और संयुक्त परिवार की जड़ और जड़ता गणेश किया उनको कहीं और छोड़ दिया जाए तो परिवार सुखी पर आती कभी भी सुखी नहीं जाना समझा अनुभव कैसा लिखा हुआ सनातन सत्य क्योंकि बुजुर्ग जो हमारे परिवार की जय हो धन्यवाद
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जी नहीं यह बिल्कुल सही नहीं है बल्कि ऐसा तो सोचना भी सही नहीं है क्यों क्योंकि यह लोग हैं कौन हमारे माता-पिता हो सकते हैं यह हमारे दादा दादी हो सके ना 9:00 नहीं हो सकते हैं जो भी है क्या के सदस्य हैं अब अगर यह नहीं होते तो हम नहीं होते हमारे लालन पालन पोषण जो भी कुछ है इन्होंने किया है अभय जब इनका बुढ़ापा आ गया है और शरीर थोड़ा ठीक से काम नहीं करता आया दश थोड़ी कम होती है यह आना तो स्वभाविक है हमेशा आदमी यंग तो रहेगा नहीं अब ऐसे में यह भी होता है कि सोर्स ऑफ इनकम इन की तरफ से होता नहीं है तो चाहे हो या ना हो आप भले ही एनिवर्सरी हो ना हो याद आते हो ना हो कोई बीमारी तकलीफ हो ना हो जैसे भी है हमें तो इनका साथ देना चाहिए यह बहुत जरूरी होता है जब हम छोटे थे तो हम इन्हीं की उंगली पकड़कर चलना सीखे खड़े होना सीख हीरो नहीं हमें सिखाया बात करना सिखाया संस्कार दिए तो क्या इन्होंने यह संस्कार दिए होंगे हमें केवल 1 दिन हमें ले जाकर छोड़ देना वृद्धाश्रम में भी नहीं यह बिल्कुल गलत बात है एकदम सही नहीं है चाहे आपकी जो कोई भी स्थिति हो भाई कोई बोलेगा मेरी फ्रेंड चल स्थिति खराब है यह कहानी बोकानी यह देखिए परमात्मा आपको वह सब कुछ दे देगा एक लिस्ट चलने लायक तो दे देगा मैंने कभी यह नहीं देखा कि घर में क्योंकि आपने बुजुर्गों को रखा हुए अपने माता-पिता को रखा हुआ है वह वृद्ध है उनके कारण घर में खाने को कुछ नहीं है या फिर किसी की मृत्यु हो गई है क्यों क्योंकि घर में खाने को नहीं है पैसे नहीं है क्यों क्योंकि वृद्ध लोग घर में रहते हैं ऐसा कभी नहीं हुआ है ना कभी होगा तो इसीलिए यह सब ख्याल निकाल देना चाहिए हां थोड़ी बहुत दिक्कत आ सकते जैसे मान लीजिए दवाई वगैरा के लिए पैसे नहीं होना वगैरह यह थोड़ी दिक्कत आ सकती देखी दो ही तरीके के दिक्कत आ सकती है वह दिक्कत यह होती है कि मैं ही एक तो उनके साथ समय बिताना उनको हेल्प करना डॉक्टर के पास ले जाने में या फिर और कोई चीज से लाकर देने में वगैरा-वगैरा एक तो यह हो गया कि भाई उन पर उनके साथ समय बिताने वगैरा और दूसरा है कि हम किस तरीके से उनकी मदद कर सकते हैं चाय व रोजमर्रा के काम हो यह जो भी कुछ और है तो इस ऐसा चीजों की जरूरत होती है फाइनैंशल डेफिनेटली मदद नहीं आता है कि भैया पैसे रुपए की जरूरत पड़ती हैं आ जाए वह हेल्थ को लेकर या किसी और चीज की लेकिन वह भी कान होते हैं और एक बहुत बड़ी बीमारी है ऐसा कुछ का इलाज नहीं हो रहा था तो ठीक-ठाक है लेकिन हां जब ऐसा कुछ होता है तो थोड़े अच्छे लगते हैं तो इंसान इसीलिए हिचके जाते हैं कि मैं उसको इनको रखने में थोड़े और खर्चा ज्यादा हो जाएगा और दूसरा इनकी सेवा करनी पड़ेगी तो जी देखिए उन्होंने भी तो खास किया था ना और आए थे जब हम हमको वह बड़ा कर रहे थे उन्होंने भी तो अपना टाइम दिया था ना उन्होंने भी वह सारी कुछ की चीजें की थी ना तो हमारा फर्ज है बल्कि मैसेज को देखता हूं कि हमारी वहां पर छुट्टी है यह मौका होता है जब हम कुछ कर सके अपने से बड़ों का तो हमेशा गवाना गवाना नहीं से
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हेलो मेरा नाम ललित माहेश्वरी जैसा कि आपने क्वेश्चन किया है कि बुजुर्गों को वृद्धावस्था में छोड़ ना देना चाहिए सही है नहीं है आप एक बार सोचिए कि जिस समय उन्होंने आप को जन्म दिया बड़ा किया और बड़ा करने के बाद में उनकी खुल उन्होंने अपनी खुशी आपके अंदर ढूंढिए तो आज आपको यह ढूंढना चाहिए कि उनकी खुशी किस में है उनकी खुशी में ही अपनी खुशी ढूंढ के सबसे बेस्ट तरीका है
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क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना चाहिए यह बिल्कुल गलत है बिल्कुल गलत है बिल्कुल गलत जिस मां-बाप ने हमें जन्म दिया आपने हमारे जिले में सोए हम बार-बार होते थे उधर से जाते थे जिन्होंने अपनी सांसो से हमें पाला पोषा पसंद किया हमेशा आपकी तरक्की चाहिए मेरा बेटा मेरी बेटी मेरा नाम हो इनसे मैन के नाम से जी और जल्दी हो जाती है हम उसको गिरधारी छोड़ा है क्यों ऐसा बिल्कुल नहीं करनी चाहिए अपनी लाख को से प्यार के लिए उनकी सेवा करनी चाहिए समग्र में पत्थरों को पूर्ण किए हैं मैचों में जाते हैं इसको देखा नहीं उसको पूछते हैं और जिंदा आदमी की सेवा नहीं कर सकती जय माता दी जय माता दी जय माता दी करके घूम रहे हैं और वीर दास में कौन सी किस की माता है वह हमें पता नहीं वह हमें शर्म नहीं आती मैं सुनता हूं इससे लीची से घटिया इससे गिरा हुआ काम कोई नहीं हो सकता जो लोग अपने मां बाप को वृद्ध आश्रम में छोड़ आते हैं और खुद अपनी नॉर्मल आराम की जिंदगी जीते हैं या विदेशों में भी जाते हैं कितना कितना बुरा कहा जाए कितनी इस बात की निंदा की जाए उतनी खराब है जो अच्छे बच्चे हैं एक लोग हैं आप के बंदे हैं जय माता दी को मानते हैं भगवान को मानते हैं उनको यह काम बिल्कुल नहीं करना चाहिए जहां तक हो जहां तक हो अपने मां बाप की सेवा करनी चाहिए यह बात ज्यादा रखिए जिस घर की छत पर करती है यानी बुजुर्ग रविवारी भी जल्दी ही गिर जाती है उनको दुख देखे हम सुखी रह सकते हैं नहीं रह सकते बिल्कुल नहीं रह सकते बिल्कुल नहीं
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आपका प्रश्न है क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही नहीं कभी नहीं छोड़ना चाहिए जब हम छोटे थे तब उन्होंने संभाला जब हम बूढ़े हुए उनको हमारी जरूरत तो कभी उनको नहीं छोड़ना चाहिए ओके
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आपका सवाल है क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही है लेकिन फेस वैल्यू अगर आप कुछ भी ना सोचे तो लगता है कि यह ऑप्शन सरासर गलत है हमारे इतिहास और हमारा जो कल्चर है भारत की संस्कृति है उसमें ऐसा जो है हर दिल जो है हम नहीं सोच सकते और कर भी नहीं सकते कोडिंग टू इंडियन हेरिटेज एंड कस्टम आपको यह भी समझना चाहिए कि हर तरह के होते हैं दुनिया में मां बाप जो अपना सब कुछ सावरकर के बच्चे को प्यार से बड़ा करते हैं तन मन धन सब के साथ कैसे बाबा होते हैं जो बच्चों को मार्केट काम करवा कर फ्लाइट करके उनका फायदा उठाकर उनको ऐप यूज करके बड़ा करते हैं ऐसे मां बाप भी होते हैं तो अगर आप पहले दर्जे के बच्चे हैं जहां पर बाबा अपने आप को बड़े प्यार से पाला है अपना सब कुछ देख कर पाना है तो वहां पर यह क्वेश्चन तो आता ही नहीं है कि आप कौन को वृद्धाश्रम में छोड़ना चाहिए कि नहीं ऑटोमेटिक लिए मुझे प्यार और अपनापन है वह सारे प्रॉब्लम्स को सॉल्व कर लेता है अगर यह सवाल पूछा जा रहा है कि छोड़ना चाहिए या नहीं बचा सकेंगे डिग्री है जहां पर आपका अच्छी तरह कैसे देखभाल नहीं हुआ है अपना तभी उसे गलत हुआ एक्सप्लोइटेशन हुआ है और आपके साथ चाइल्ड भी उस हुआ है और इन ए चाइल्ड हीलिंग कि आपको सरासर जरूरत है तभी आपके मन में यह ख्याल आएगा कि उनको वृद्ध आश्रम में छोड़ना चाहेंगे आप हो क्या बहुत गुस्सा है अपसेट है आपकी जिंदगी शराब होगी बर्बाद हो गई और आप उनका ओल्ड एज में ख्याल नहीं रखना चाहते यहां पर मैं एक और तीसरा प्रश्न बताना चाहूंगी जहां पर मां-बाप ने आपको सही तरह कैसे पाला भी होता है या फिर नहीं भी पढ़ा होता है आप करना चाहते हैं लेकिन आपकी आर्थिक स्थिति आपकी मानसिक स्थिति और फिजिकली ज्यादा बीमार हैं और उनकी देखभाल नहीं कर सकते करते आए हैं लेकिन अब नहीं कर सकते तो आपके पास शायद कोई चारा नहीं है अगर मां-बाप के भाई बहन नहीं है कोई नहीं है तो शायद यह एक ऑप्शन आपको नजर आ रहा है ताकि कोई ना कोई उनकी देखभाल करें तो वृद्ध आश्रम वहां पर एक ऑप्शन बन जाता है जहां पर अगर आप करते आए हैं और थक गए हैं आप से नहीं हो रहा है और कोई नहीं है या तो घर में कैद कर रख सकते हैं आप या फिर वह भी अगर आप फाइनेंस नहीं कर सकते अकाउंट की कॉमेडी अट होम विद आश्रम जो है वह पिक्चर में आता है यह अपने अपने पर्सनल चॉइस है कि कौन किस वजह से यह ऑप्शन चुनना चाहेगा या नहीं सुनना चाहेगा हम किसी को सही या गलत नहीं ठहरा सकते इससे मेरी पर्सनल सेशनल थिंग वी शुड रिस्पेक्ट एवरी बडी प्राइवेसी रिंगटोन कविता पर नियम डॉट कॉम
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नहीं कदापि नहीं छोड़ना चाहिए मैं ऐसी औलाद ओके बाद में बात नहीं करना चाहता हूं जो बेशर्म हो जाते हैं जो ने लोगों को ऐसे इंसानों की बारे में क्या कहना क्योंकि 10 लोगों ने बुद्धि होती है और वह महिलाओं की कसम से हमको चाहिए कि उनकी संतान भी इसी प्रकार निकाल देगी यह संस्कारों का सवाल है दोस्त संस्कारवान सलाम करते हैं वो हमेशा अपने बुजुर्गों को रास्ता दे तो शिक्षकों का सम्मान नहीं सका है बुक वाली की संगति न्यायिक कार्य उन लोगों को जो कि बुजुर्गों को खुशियों के रंग बुजुर्गों को घर से बाहर निकाल देते हो पता समझ छोड़ देते हैं तभी उन्हें सोचना चाहिए कि जिस मकान में वह रह रहे हैं वह उनके पूर्वजों ने बनवाया है उनके पिता ने बनवाया है उनके दादा ने बनवाया था में हो गई है क्या आप यह कहेंगे कि ऐसे संपूर्ण सुंदरकांड योग्य है जो अपनों को छोड़ने के लिए विचारों को वृद्ध आश्रम अकेला छोड़ दिया जाए पुणे बुधवार दिखता रे मेरी तरफ से जो अपने माता-पिता को यह दुर्गुण को वृद्धाश्रम में छोड़ आते हैं और खुद की चाहना में अपनी के साथ अकेले जीवन जीते हैं क्या उत्पत्ति नियम का पालन पोषण किया था क्या उसकी सीधी तुम्हारा पालन पोषण किया था तुम्हारा पालन पोषण और माता-पिता ने किया बुजुर्ग लोगों ने किया मूवी कभी तुम्हारी तरह जवान तेरे तो हमने अपनी जवानी को तुम्हारे पालन पोषण के लिए बर्बाद कर डाला खून पसीना पैसा लगाकर के बने मकान बनवाया पढ़ाया लिखाया बाहर निकाल दूं छोड़ दोगे मैं ऐसे लोगों को धिक्कार नहीं योग्य मानता हूं चाहे वह कितनी बड़ी पद पर हूं उनका जीवन लाख बार देख करने योग्य हैं जो अपने बड़े बुजुर्गों प्रेस करके छोड़ आते हैं धिक्कार है
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आपका सवाल है क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही है यह गलत बात है अपने माता-पिता को वृद्धा आश्रम में छोड़ देना गलत बात है या अपने माता-पिता को अपने से अलग कर देना यह भी गलत बात है मैं देखता हूं कि बहुत सारी ऐसी फैमिली है जिसमें माता-पिता अलग रहते हैं एक बेटा अलग रहता है दूसरा बेटा अलग रहता है तीसरा बेटा अलग रहता है तो क्या विडंबना है यार हम लोग एक माता-पिता को अपने साथ नहीं रख पाते हैं जबकि माता-पिता ने हमें जन्म दिया है हमें पाला पोषा है पाल पोस कर पढ़ाया लिखाया है बड़ा बड़े हुए हैं हम लोग और बड़े होने के बाद शादी भी उन्होंने किया और शादी के बाद पत्नियां नहीं पता कौन सा जादू करती हैं कि आप माता-पिता से अलग हो जाते हो अलग मत हो क्योंकि मां से अगर अलग हो जाओगे ना तो भगवान आपको कभी माफ नहीं करेंगे क्योंकि मां ही भगवान के अवतार होती हैं माही हमारी गुरु होती हैं मायलारी सब कुछ होते हैं मां पिता के पास कुछ नहीं है माता पिता के पास बस फ्री का आशीर्वाद है उस आशीर्वाद को जो बच्चे लेते हैं वह बहुत तरक्की पाते हैं अब प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी को देख लीजिए आज भी कुछ भी होता है बर्थडे है या कुछ भी है उनका तू अपनी मां के पास जाते हैं मां के पास उनका पैर छूते हैं उनका आशीर्वाद लेते हैं और देखिए उनकी तरक्की कितने आगे बढ़े हैं जीवन में तो उसी तरह आप भी करिए वृद्धा आश्रम में हम लोग छोड़ देते हैं वृद्ध आश्रम में माता-पिता आप रहते होंगे सोचते होंगे कि मेरे बेटे ने मेरे साथ ऐसा किया और वह तरस खाते होंगे कि बेटा को पैदा ही नहीं करना चाहिए था बहुत दुख होता होगा उनका उनको उनको दुख होता होगा तो क्या आपको उस दुख का प्रभाव नहीं पड़ेगा प्रभाव पड़ेगा आपके बच्चे आपके साथ हो सकता है कि बहुत ज्यादा उसी तरह बर्ताव करें जिस तरह आपने अपने माता-पिता के साथ बर्ताव किया है यह देखे न्यूटन का जो पडलॉक थाना की बॉल हम दीवाल पर फेंकते हैं दीवाल भी उतना ही पोस्ट लगाती है बॉल फिर वापस आती है वैसे ही जीवन है हम जैसा कर्म किसी दूसरे के साथ करेंगे वैसा ही कर्म उसके साथ कोई दूसरा करेगा तो कहने का तात्पर्य है कि आप अपने माता-पिता को वृद्ध आश्रम में अभी मत छोड़िए अपने माता-पिता को अपने साथ रखिए माता-पिता बुजुर्ग हो गए हैं उनकी सेवा करिए और अपनी वाइफ से भी बोलिए कि उनकी सेवा करें अपने बच्चों से बोलिए कि उनकी सेवा करिए इनका आशीर्वाद लो यह कुछ भी बोले बुरा मत मानो आशीर्वाद की तरह लो जैसा संस्कार आप अपने परिवार को दोगे अपने माता-पिता के साथ रहकर तो आपका जीवन आगे बढ़ेगा आपके परिवार में खुशहाली आएगी और आपके परिवार की तरक्की भी होगी धन्यवाद
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गुड आफ्टरनून देखे बुजुर्गों को विद्याश्रम में रखने का जो ट्रेन है वह अपने कंट्री का नहीं है यह भारतीय संस्कारों में कभी नहीं था और कभी नहीं होना भी चाहिए यह भले ही व्यस्त में या फॉरेन कंट्री इसमें होता है लेकिन वहां भी अगर आप देखोगे तो जो बुजुर्ग है वह अपनी स्वेच्छा से विदा समझाने के लिए तैयार रहते हैं अपने जीवन भर काम करके एक अमाउंट सेव करते हैं ताकि वह अपने बच्चों के ऊपर बोलना बने और उन्हें जैसी लाइफ्सटेल जीनी है वह जीने के लिए वह रेडी रहते हैं तब तक रहते हैं इसलिए वह बर्दाश्त करने जाना चाहते हैं इन इंडिया अगर आप देखोगे हमारी जो संस्कृति है हमें हमारे बुजुर्गों की चत्रचाया की हमेशा जरूरत रहती है क्योंकि उनके जो विचार है उनका जो एक्सपीरियंस है वह हमें जीने की एक प्रेरणा देता है एक मजबूत जड़ रहते हैं वह तो जो लोग मैं माता पिता उनको या दादा दादी को वृद्धाश्रम में डाल रहे हैं उन्हें यह समझना चाहिए कि आज भले ही वह जवान है और कल के दिन जब वह बुजुर्ग होंगे और उनके बच्चे या उनके पोते पोती उनके साथ ऐसे करेगी तो कितनी बड़ी चोट या कितनी बड़ी ठेस मन को लगेगी क्योंकि जब हम को तरसे एज में यह सब घर का चेक करेंगे तो हमें क्षमा कैसे मिलेगी जो हमें जीवन देता है उसी को उठाकर अगर हम बंद कमरे में डाल दे और उस पर एग्जांपल देखिए पौधा लाते हो पौधा बढ़ जाता है उसे पानी डालना भूल गए तो फिर वह पौधा कैसे अपने रूप को पकड़ कर रख सकता है मुरझा जायेगा वहीं बुजुर्गों के साथ भी होता है उन्हें भी जीने दो जब तक उनकी सांस है आखिरी सांस तक उन्हें वह खिलखिला हक से जिंदा रहने का हक है इनके अगर कोई बुजुर्ग अपने घर वालों के साथ आगे बढ़ना चाहता है अलग रहना चाहता है वह की विचारधारा है कि आजकल आप देखोगे कि बहुत सारे का बुजुर्ग लोग भी बहुत इंडिपेंडेंट हो रहे हैं वह जो भी लाइफ टाइम की भी जो भी कमाई है उसमें से एक हिस्सा अपने आपके लिए बचा कर रखना चाहते हैं कुछ बुजुर्ग ऐसे भी है कि वह जीवन बुजुर्ग होने के बाद भी अपने बच्चों के ऊपर या अपने ग्रैंडचिल्ड्रन के ऊपर बोझ नहीं बनना चाहते इंडिपेंडेंटली जीना चाहते हैं और उनके विचारधारा से वह वृद्ध आश्रम जाना चाहते हैं वह अलग बात है तो बुजुर्गों को भी अपना फ्रीडम अपनी स्पेस देना जरूरी है अगर आप देखोगे जब हम बुजुर्ग घर में होते हैं तो एक अलग ही माहौल होता है मस्ती मजाक का छोटी-छोटी झगड़े लोग जब जब होती है तब हम उन्हीं के पीछे जाकर छुपते हैं कभी-कभी ऐसे होते हैं कृपा करके हम वापस आते हैं और चाहते हैं कि उनकी गोद में जाकर सर रखकर आराम से सो जाए और वह पैसे लाते रहे कुछ अच्छी बातें समझाते रहे हैं कि नहीं तो मेरे ख्याल से आई थिंक सो बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में छोड़ना बहुत गलत बात होगा उन्हें भी जीने का हक है उन्हें अपने परिवार के साथ अपने परिवार को खेलते हुए आगे बढ़ते हुए देखने का हक है तो यह जो सिटी आजकल जो पैदा हुई है यह मुझे लगता है गलत है क्योंकि हर कोई अपने रिस्पांसिबिलिटीज आजकल देखा जाएगा तो अंडर द नेम ऑफ रसिया मनीष अनारकली सूट के ऊपर असफल कर रहे हैं तो मैं चाहती हूं हमारी जो इसके जनरेशन के जो लोग हैं वह समझना चाहिए कि वृद्ध आश्रम मेल मिलाप के लिए हो तो अच्छी बात है लेकिन अपने बुजुर्गों को वह हमेशा के लिए रखने के लिए यह सही बात नहीं है क्योंकि कल के दिन हम भी बुजुर्ग होने वाले हैं हमें भी बुढ़ापे से कोई बचाने वाला नहीं है तब हम अकेला महसूस करेंगे और हमें अकेला रहने की आदत नहीं है इंजर्ड बिहार ऑल इंडियन इंडियन स्कोर किसी ना किसी दोस्त किसी ना किसी की सहारा की आवश्यकता जरूर होती है तो माय डियर फ्रेंड आई होप मैंने मेरा व्यूप्वाइंट क्लियर किया हुआ आपको धन्यवाद
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क्या आपने यह सवाल पूछते ही इसके साथ अपना जवाब भी जोड़ दिया है बुजुर्गों को क्यों छोड़ना चाहिए विकास में बताइए क्या कोई बच्चा जब पैदा होता है तो उसके माता-पिता उसे किसी अनाथालय में छोड़ देती है क्या नहीं छोड़ देगा उन्हें अनाथ नहीं करते इस तरह आप भी अपने माता-पिता को वृद्ध होने पर उन्हें एक तरह से अनाथ ही कर देते क्योंकि उनके पास एक ही सहारा होता उनके बेटे जिस समय आप छोटे थे जिसमें हम छोटे-छोटे बच्चे होते हैं ना मैं कुछ समझ होती है ना तो कुछ पता होता है हम एक ही सवाल को 5010 बार पूछते हैं सेम यही चीज बुजुर्गों के साथ होती है और हम उसको देखकर इरिटेट होने लगते हैं तो मुझे लगता है कि इसमें सुधार करना चाहिए समाज को सुधार करने की आवश्यकता है वृद्ध आश्रम जैसी चीजें अगर भारत में बंद हो जाए बंद हो जाएगा मतलब यह कि सभी बुजुर्ग अपने अपने घर वापस लौट जाए तो शायद उस दिन सबसे ज्यादा खुशी का दिन होगा उस दिन संयुक्त दिवाली और होली मनाई जाएगी बहुत-बहुत धन्यवाद और आपके विचार भी मैं जानना चाहूंगा क्या क्या विचार हैं आपके कमेंट में बताइए
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प्रश्न है क्या बुजुर्गों को वृद्धाश्रम में छोड़ देना चाहिए मेरे हिसाब से तो नहीं चाहिए सिर्फ कुछ सामान की जरूरत है प्यार की जरूरत है आदर की जरूरत है जिन बच्चों को ब्यूरो ने पाला है परवरिश दी है सब कुछ किया और वही बच्चे जब बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ दिया जाने के लिए विवश कर दें उनके दिल पर क्या बीती होगी आपको तभी समझ में आएगा उससे पहले नहीं समझ में आएगा उनकी पीड़ा उनकी हताशा मुझे समझ में नहीं आई इसलिए हमेशा अपने आप को उनकी जगह रखे देखे और उनको उनकी जगह खुद को रख कर देखिए फिर आपको सब समझ में आ जाएगा क्यों कुछ बर्दाश्त में छोड़ना सही है या नहीं
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जी नहीं बिल्कुल सही नहीं है मैं तो वृद्ध आश्रमों के ही खिलाफ हूं हमारे देश में वृद्धाश्रम होना ही नहीं चाहिए जो मां बाप को अपने साथ नहीं रह सकते उन बच्चों पर आज सरकार द्वारा बनाए गए नियम के अनुसार कार्य कार्यवाही की जा सकती है अर्थात आज बुजुर्गों के लिए भारत में बहुत ही उत्तम कानून उपलब्ध है जो बच्चे अपने मां बाप की कदर नहीं करते या उसको खाना पीना रहना ठीक से उनको सुविधाएं नहीं दे रहे हैं वह को जब चाहें तो अपने एक फोन कॉल पर की कंप्लेंट कर कर अपने उन सब अधिकारों को प्राप्त कर सकते हैं अब उन्हें वृद्ध आश्रम में जाने की कोई आवश्यकता नहीं है हर बुजुर्ग का अपना अधिकार है कि वह अपने बच्चों से अपने उस अधिकार को ले जो उन्होंने बचपन से उनको आज तक थी हम अपने बच्चों को जैसे शिक्षा देंगे कल वहीं शिक्षा उनके बच्चे उन से सीखेंगे इसलिए जो गलतियां हो चुकी उन्हें छोड़कर हमें अपने बच्चों को सही शिक्षा देनी चाहिए वह भी वृद्धाश्रम क्यों भेजे हैं हम उन्हें तुलना उनके अपने ही घरों से बाहर निकाले हैं क्योंकि जिस घर में रह रहे हैं जब भले ही वह घर पुत्र द्वारा बनाया गया एक पिता उसमें रहने का अधिकार रखता है धन्यवाद
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आपका सवाल है क्या बुजुर्गों को बिरधा आश्रम में छोड़ देना सही है तो मैं जहां तक की मानता हूं बुजुर्ग लोग वृद्धाश्रम नहीं छोड़ना चाहिए एक मां-बाप 45 बच्चों को देख सकता है लेकिन चार पांच बच्चे मिलकर एक मां बाप अपने देख सकते इसीलिए बुजुर्गों को भी दास्तां में नहीं छोड़ना चाहिए क्योंकि उन्हें अजीब दास्तां में छोड़ा गया तो उन्हें उनके गुणों से हाथ धोना पड़ेगा उनके जो गुण है वैसे तो जहां तक मेरा मानना है हर घर में एक बुजुर्ग होना चाहिए लेकिन बुजुर्ग भी ऐसे नहीं रह जैसे होते थे कि मेरा मानना है कि बुरे होने के बाद लोगों के चेहरे पर चमक होनी चाहिए लेकिन आजकल के बुड्ढे मोर चमक नहीं है कोई किसी में भी चमक नहीं है महात्मा गांधी बचपन कितने अच्छे देखने में नहीं लगते थे लेकिन जैसे बूढ़े हुए उनके चेहरे की चमक बड़ी क्यों क्योंकि उसके अंदर की जो ग्रंथियां थी और कम होने लगी उसके गुस्सा कम हो गए हो शांत होने लगा जवानी तो भाग दौर है और बुढ़ापा बैटरी बचत खाता है कहीं नहीं जाना जवानी आज चंडीगढ़ में कल मुंबई दिल्ली कोलकाता और बुड्ढा बुड्ढा अनुभव होना चाहिए शरीर दुबले होने से थोड़ी होता उनके सुविचार ज्ञान अनुभव कहां गया इसीलिए गुस्सा आता है तो गुस्सा आने की जरूरत क्या है लेकिन जहां तक कि मेरे पास सभी सवाल है क्या बुजुर्ग को बिदासर में छोड़ देना सही है तो नहीं छोड़ना चाहिए उन्हें रखना चाहिए जब पहले यहां रहे तो अब क्या हो चले जाएंगे विलासम हां जी से मर्जी जाने किया वह जा सकते हैं इतने दिनों के लिए जाने आ जा सकते हैं अभी सकते इसमें क्या है तो बात सही है हो जा सकते हैं लेकिन उसे छोड़ देना सही नहीं है
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आपका प्रश्न बुजुर्गों को वृद्धावस्था में छोड़ देना चाहिए उस कंडीशन में चाहिए जब यदि उसके कोई बाल बच्चे नहीं है और उसको देखें करने वाला नहीं है पति पत्नी जब तक साथ है तुम हो एक दूसरे के सहारे जी लेते हैं परंतु उनमें से दोनों में से एक भी कम हो गया तो उन्हें रखने वाला कोई नहीं है देखरेख करना ना कोई नहीं है इस कंडीशन में उस रास्ते में छोड़ दिया जाना आवश्यक है परंतु यदि उस बुजुर्गों के बच्चे हैं और बच्चे होकर भी उन्हें वह रखने को तैयार नहीं है इस दर्शन में मेरी जो सोचे कि उन्हें नहीं छोड़ना चाहिए वह एक उम्र के पश्चात छोटे बालक के समान रहते हैं जिनकी देखरेख उंगली पकड़कर करने के समान होती है कब उन्हें खाना चाहिए उन्हें खुद को नहीं मालूम था कब उन्हें पहनना चाहिए नहीं मालूम था क्या कर रहे हैं उन्हें यह भी नहीं मालूम रहता उस दशा में एक छोटे से बच्चे के समान उनकी स्थिति मनोज स्थिति बन जाती है उससे मिलने सहारे के बड़े यदि उस समय उनके बच्चे ने सहारा दे देते थे तो वह बच्चे समाज में भी बड़े अच्छी दृष्टिकोण से देखे जाते हैं और खुद की नजरों में भी अपने आप को बहुत अच्छे से अनुभव करते हैं यदि बच्चे जरा होकर भी उन्हें वृद्ध आश्रम में छोड़ दें तो वह उनका मन भी बड़ा दुखी और परेशान सा रहता है क्योंकि उनका ध्यान बार बार जाएगा कि हमारे होते हुए भी हम अपने माता-पिता को वृद्धावस्था में छोड़ा है थैंक यू
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आपका सवाल है क्या बुजुर्गों को घटाकर में छोड़ देना सही है कि आपकी इस सवाल के लिए पहले मैं थैंक्यू लगाऊंगी आपको क्योंकि आप जवाब देना अपनी राय देना भी बहुत सही है मैं बता दूं मैं कि आजकल बहुत ज्यादा संख्या में यह हो रहा है कि लोग बुजुर्गों को वितरण छोड़ देते हैं जबकि वहीं बुजुर्ग थे और आप बच्चे थे तो हमारी मां बाप हमको संभाले हमको पालन के पोषण में बड़ा किया हमें अपने पैरों पर खड़ा होना सिखाया मैं अपने पैरों पर खड़ा है क्या हमारी बारी आई उनकी बचपना हुजूर बच्चे की बराबरी होते हैं बच्चे की सेवा करनी पड़ती है उसे बुजुर्गों का सेवा करना पड़ता है तो सब हमारी समय आया हमारी बारी आई उनकी सेवा करने की उनकी देखरेख करने की तो हमने उनको सब किसके लिए अपनी फैमिली के लिए अपने वाइफ के लिए अपने बच्चों के लिए ताकत वाइफ के लिए लोग छोड़ते हैं उसके लिए लेकिन जिसने जिंदगी भर अपनी पूरी जिंदगी हमें ही बनाने में भी यार दिया हमने उनको ही ताकत दास हमें छोड़ दिया बहुत गलत बात है जिन्होंने आपके साथ आपके सेवा कि आपका देखभाल किया रात का भी पूरा प्रेस काउंसिल की बनती है क्या अपने अपने माता-पिता को देख रेख करें तो माता-पिता की देखरेख करते हैं यहां पर भी खुश रहते हैं और आगे भी खुश रहते हैं मतलब होता है भगवान के पास वही खुश रहते हैं यह शिकायत है यह तो अपराध है यह ज्यादा हिंदू में पाया जाता है तो मैं उनसे बोलना चाहूंगी कि प्लीज आप अपने मां-बाप को वृद्धाश्रम में ना जोड़ें क्योंकि वही मां बाप है तो आप जिसकी जिसकी आप की स्थिति उनके जैसी थी और उन्होंने आपको समान आपको अपने पैर पर खड़ा किया तो आप भी अपने कर्तव्य का अच्छे से निर्वाह करें उनको संभालने उनको उनको आप को सहारा दे दो कि आप ही उनके सब कुछ हो आप के भरोसे ही आप उनके हो इसीलिए वह आपका पार्सल करते हैं आपके हम भी देखते हैं लेकिन शादी होने के बाद लोगों ने भूल जाता है तो प्लीज आप लोग ऐसा बिल्कुल ना करें कोई भी ऐसा ना करें आपको
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देखिए बुजुर्गों को विद्या आश्रम में छोड़ना यह बहुत गलत बात है अगर अपने घर में कोई बुजुर्ग है तो कृपया उसे विद्या आश्रम में ना छोड़ करके उनकी सेवा स्वयं करें उनका देखभाल करें लेकिन जिस प्रकार से आप देखभाल उनकी कर सकते हैं इस प्रकार से उनकी सेवा वृद्धा आश्रम में नहीं होगी इसलिए भाइयों अनुरोध है कि आप लोग अपने माता-पिता या बुजुर्गों को विद्या आश्रम में ना छोड़े और यह छोड़ देना सही नहीं है बहुत गलत होता है धन्यवाद जय हिंद
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क्या बुजुर्गों को वृद्ध आश्रम में छोड़ देना सही है बिल्कुल सही नहीं है वृद्ध आश्रम में बिल्कुल सही नहीं है वृद्ध आश्रम नहीं अभी उसके पुत्र पुत्र या नहीं है या वह आर्थिक रूप से कमजोर है जो किसी को गोद नहीं ले सकता है तो उन लोगों के लिए वृद्ध आश्रम जाना या छोड़ देना या पहुंचना या पहुंचाना उचित है बाकी का जिस के पुत्र हैं पुत्रियां हैं है अच्छा गोद लेने के लिए समर्थ है किसी को गोद ले सकता है अपना पुत्र पुत्री मान सकता है बेटा मान सकता है तो वह सेवा करेगा तो यह पुत्र पुत्रियां हैं उनको चाहिए गौ सेवा करें अपने मां-बाप की और नहीं तो बहुत ही गलत है इससे बड़ा पाप कोई नहीं क्योंकि यह भले ही सोच ले कि वहां छोड़ दें लेकिन यह पाप कर्म की श्रेणी में है तो इसका परिणाम तो निश्चित तौर पर उनको बोलना पड़ेगा और निश्चित तौर पर मिलेगा क्योंकि जिसने मां-बाप ने अंश है उसको छोड़ दिया तो उसका कष्ट तो उन्हें झेलना पड़ेगा उसका भुगतान आ भरपाई तो देनी पड़ेगी बच्चों का धन्यवाद
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बुजुर्गों को विद्या आश्रम में छोड़ देना सही बात नहीं यह बिल्कुल ही गलत बात है क्योंकि बुजुर्ग जो होते हैं वह हमारे घर की शोभा होते हैं राजनीति से जुड़े होते हैं हम लोग उनसे जुड़े होते हैं तो इसलिए हम अपने घर की शोभा को कहीं बाहर बेकार लगता है जब हम पैदा होते हैं वही लोग हमारे ख्याल रखते हैं क्योंकि हम अपने घर की शोभा अपने घर में ही रखें उसे बाहर कहीं ना रखें
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आपका सवाल है क्या बुजुर्गों को आश्रम पर छोड़ देना चाहिए यह बहुत ही खराब सोच है और ऐसा कभी भी नहीं करना चाहिए आप यह देखिए कि जब आप छोटे से बच्चे हुए थे तो आपकी हालत भी वैसी थी कि आप बहुत अच्छे आप चलना नहीं जानते थे आप बोलना नहीं जानते थे आप खाना नहीं जानते थे तो क्या आपके मां-बाप ने आपको किसी अनाथालय में छोड़ दिया था नहीं छोड़ा था उन्होंने आपको पाला पोसा बढ़ाकर आपको फिर लायक बताया तो अगर आप के बुजुर्ग आज अगर आप हो गए हैं आपके बड़े तो आप क्या होने किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ कर अपनी जिम्मेदारियों से पीछे हट सकते हैं यह नकारा सोच आप रखते हैं तो उस टाइम पर आपके मां-बाप के बुजुर्ग को आपकी जरूरत होती है और आपका पद भी बनता है कि आप उनकी पूरी देखभाल करें क्योंकि आप सुपर उनका बहुत बड़ा पर्व है जो कि कभी जिंदगी में उतर ही नहीं सकता क्या पूरी जिंदगी में उनकी सेवा करें अर्जुन जी बता सकता तुझे सोच बहुत ही खराब है यह सोच किसी को भी ऐसे नहीं रखना चाहिए और दूसरी बात यही सोच है कि जो इंसान जैसा करता है उसको फिर वैसे ही मिलता है अगर आपके बच्चे भी कल को आपको वो बूढ़े होने के बाद किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ आए तो आपको कैसा लगेगा अगर आप अपने मां बाप के साथ ऐसा करेगा उसके पास है कि निदान होगा आपके साथ यह करने का पूरा पूरा
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बुजुर्गों का प्रकाशन छोड़ देना चाहिए यह बिल्कुल गलत है हमें यह सोचना चाहिए कि यदि हम अपने मां बाप के सास-ससुर को वृद्ध आश्रम में छोड़ देंगे हम भी बुजुर्ग होने वाले हैं तो हमारी जो औलाद है वह हमें भी पता आश्रम में छोड़ देगी हम अपने बच्चों को क्या सिखा देंगे कि हमने उनकी दादी दादा को वृद्धा आश्रम में छोड़ दिया तो हमारे बच्चे की हम पर ऐसे ही पैसा डालेंगे जब हम वृद्धावस्था में हो जाएंगे इसलिए मैं मानती हूं कि गलत है और हम अपने आने वाली पीढ़ी अपने बुजुर्गों ने वृद्ध आश्रम
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