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अपनी प्राण ऊर्जा को सुखद कैसे के प्राण ऊर्जा को सफल बनाने का सबसे बेहतर है क्या प्राणायाम करें योगा करें मेडिटेशन करें और जब आपकी बॉडी फिट रहेगी और बहुत सारे योगा है आजकल के प्राणायाम अनुलोम-विलोम है तो पाल पड़ती है बराबरी है इन सब चीजों को आप करते हैं तो दिखेगा बढ़ेगा और निश्चित सर्वदा प्राणियों बड़े गिरोह कर क्या करेंगे लंबी लंबी सांसे खींचकर करेंगे तो बेहतर होगा
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बाकी छपरा से अपने प्राण उर्जा को सुखद कैसे बनाएं सिंपल लोगों को हेल्प करिए ऑटोमेटिक सुखद हो जाएगी आपकी फैमिली की हेल्प करी है आपकी प्राण ऊर्जा ऑटोमेटिक हो जाएगी हो जाएगी ठीक है अच्छा काम करते रहिए किसी को दुख ना होता करेगा
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फैशन है अपनी पूजा को शुगर कैसे बनाएं अपने प्राण ऊर्जा को सुखद कैसे बनाएं बहुत अच्छा प्रशन है चिंता रहित होकर अपने प्राण ऊर्जा को सुबह आबकारी बनाया जा सकता है लेकिन प्राण संचालित होता है चिंताओं से चिंता और चिंतन यह दो पहलू हैं चिंतन की धारा में निष्कर्ष मिलता है और चिंता मित्र की व्याकुलता बढ़ती है जैसा कि हिंदी शादी करके कहा गया चिंता चिता के समान है और चिंतन अमृत अगले जो शांति अभियंता और सांसो की अनुभूति में तल्लीन है जिनके मानसिकता के अंदर कोई प्रश्न और सदस्य नहीं रह जाता है ऐसे इंसानों के प्राण ऊर्जा को दीर्घकालीन तक संयोजित कर सकता है और शिक्षा की दशा में खो खो जाता है और से अत्यंत लाभ मिलता है क्योंकि उलझा हुआ दिमाग के गरिष्ठ रूप में आ जाता है उसमें साथ रिश्ता नहीं होती है क्योंकि शांति दशा में स्थित करने का मतलब आपने एक ऐसे पद प्राप्त कर लिया है जहां तल्लीनता से विद्यमान हो गए अपने मानो इच्छापुर गति करते हैं कि ऐश्वर्या है क्योंकि क्षण मात्र से वहां हमारे संबंध दिमाग प्रस्तुतीकरण करता है तो यह हमारे अधीन हो जाते हैं क्योंकि रास्ते तो राजरूप याद आ जाए कहना कहने का मतलब आप कहीं सम्राट बनना चाहते हैं तो उनमें जो अपने दायरे की चीजें हैं उन पर हम काबू कर सके उसके ऊपर बैठ को नियंत्रण में संचालित कर सके और हम निर्लिप्त रहे तो इस तरह की व्यवस्था में राजतंत्र होता है मनोदशा और शिक्षा के स्तर में जो शीश मनाना डी के अंदर ट्रांसफर हुए प्रवाहित होता है तो चैटिंग चक्रों का भेदन करता हुआ वह सस्ता उन केंद्रों की शब्दों को प्राप्त करता है उसका आवागमन निरंतर बन जाता रूट मिल जाता है और यह संसार मानसिक दशा पर ही जीवंत है और जो जटिल पूर्वक चढ़ता है दिमाग की बत्ती जहां कुंठित हो जाती है स्थगित हो जाता किस के आगे पीछे कुछ नहीं है वहां पर भी उसे सुधारा का प्रवेश होकर बात करता है वह आगे प्रभाव मान बन जाता है इससे एक रूट में शहीद और गुजरता है जो मनुष्य अपने आप को सच चंदा स्वतंत्र रूप से नियुक्त करके आत्मा नोवेशन करते हैं तो वह अपनी भूमिका परिपक्वता में निर्धारण किए होते हैं और विभिन्न रूप से अपने दायरे में काम करते हैं और चले जाते हैं उत्कर्ष में रहते हैं लेकिन यहां प्रश्न आता है साक्षी रूप में किसी से शेयर करना अपनी अपनी बाहों को शेयर करने का एक इच्छा उत्पन्न होती है और इसी में ही बहुत सारी उलझन आ जाती क्योंकि हम किसी ना किसी चीज को अपने अंतर्गत के कारण में हुए अनुभूतियों को साक्ष्य के तौर पर बताना चाहते हैं और हम आनन-फानन में इच्छा जाहिर रखते हैं सबसे कि हम इसको बताएं उसको बताएं और जब हम किसी के बताने के ध्यान में चलते हैं तो उसकी विवेचना उसका संस्कार हमारे अंदर प्रवेश कर जाता है जिससे अपने आप को भूल जाते हैं और उसमें रखो जाते हैं जो लोग अपने आप में सही रूप से नियुक्त नहीं कर पाते हैं जब तक तब तक उन्हें अपने पति के संग रहता को संभाल के रखना चाहिए पात्र के अनुसार बेशक आप से विवेचना कर सकते हैं शब्द ताला है 10 सब्जी कौन सी है तो हमें भावनाएं और शब्दों से हमारा कुछ आदान-प्रदान होता है जिससे हमें महसूस नहीं होता कि हमारी कोशिश गांव में चली गई है कुछ आ रही है कुछ नहीं आ रही है दसों पात्रों में जो बैठता है विचार ज्ञान वह वंचित होता है अपने को ही मिलता है दूसरे को भी सही रूप से प्राप्ति होती है पर इस प्रकार रख कर के जीवन के लिए अब जितना चिंता रहित रहेंगे और सहजता से संघर्ष में कार्य को अपने निमृता निपुणता से सरल कर देंगे आपकी क्षमता कुशलता अच्छी रहेगी इस प्रकार से अपना स्टेटस मान होता है अपने आप में स्थिति परिपूर्णता की ओर ध्यान देना चाहिए क्योंकि जिसने हमें बनाया है वह एक ही है विराट और विशाल जिसकी शब्द घुमा महानता की जाते सर्वश्रेष्ठ तत्व के हम जीवात्मा हंस 580 से कहां जाएगा छूट गई मंदिर में पद की ओर आ गए प्राप्त करता हुआ सागर या मनुष्य प्राणी अपने दिव्य ध्यान में प्रवेश करता है या उसकी ससुरा रचनाएं और की बनती है तो अपनी नियुक्ति अपने आप होती है वहां पर तो सेल्फ एंप्लॉयड हो गए अपने आप में प्राण की कोई जात आप पर विराम सावशांति के साथ रहेगी रहेगी और इससे आप और भी महान चिंतन और ज्ञान को प्राप्त कर सकते हैं क्योंकि सब्जेक्ट के लिए के अनुरूप ही जब भागती है विश्व का जब संक्षेप परीक्षण होता है तो हमें इसकी अनुभूति का धारा चीता का सिम मिलता है और हम जिस तरह का अनुभव कर पाते हैं हमारी पृष्ठभूमि होती है कई लोग निर्णय सही सक्षम नहीं होते हैं लिब्राहन से उत्पन्न होती है लेकिन इस भ्रांति में सही मान की जीवन के दायरे को चलाते हैं उससे ऊपर की भूमिका है जितना बड़ा ध्यान होगा जितना बड़ा ज्ञान होगा उतना ही बड़ा धर्म होगा प्रकार से अपने आप को स्थित रखते हैं समाधि अवस्था बोलते हैं इसको प्रतिपदा चूत होना मतलब अपने अनुशासन अपने सिद्धांत से नीचे गिरना आज संयम न होने के कारण होता है और हम उसमें होते हैं तो हमें लिफ्ट करती हैं ज्ञान पाए की धाराएं उससे भी मुक्त रहना चाहिए और अनंत स्वरूप में अपना ध्यान चिंतन करना वह यही सत्य है और जो इसको नहीं बान करारी अज्ञानता है विद्या है जिससे समैक्यथा योग गुरु या कोई ऐसा ज्ञान का प्रहार पड़ेगा तो हमारे पुसतक चेतना जागृत हो जाएगी अपनी उर्जा को भगवान के नाम से ही सुरक्षित करा जाता है धन्यवाद
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अपनी प्राण ऊर्जा को सुखद कैसे बनाएं भैया प्राण ऊर्जा को सुखद बनाने के लिए कुछ सुखद कार्य करना होगा सुखद अनुभव करना होगा सुखद अनुभव कैसे होगा जो सुखद कार्य करेंगे भगवान बुध कपिलवस्तु के राजा के पुत्र थे उनका नाम सिद्धार्थ सिद्धार्थ था सिद्धार्थ सिद्ध दान के पुत्र हैं कपिलवस्तु के राजा जिनके पास पैसे रुपए की कोई कमी नहीं थी उसके बाद जब सिद्धार्थ को थोड़ा सा ज्ञान होता है कि यार मैं क्या कर रहा हूं सत्य की खोज में निकल जाते हैं और सब कुछ छोड़ छाड़ के बहुत संघर्ष करते हैं इतना संघर्ष करते हैं कि आप सोच नहीं सकते हैं तपस्या करते हैं उसके बाद उन्हें सत्य का ज्ञान होता है सत्य का अनुभव होता है जो सत्य का अनुभव हो जाता है ना तो सुखद अनुभव होता सुखद कार्य करने से ही सुखद अनुभव होता है तो अपनी ऊर्जा को उन्होंने सुखद अनुभव कराने के लिए सही डायरेक्शन में लगाया और वह भगवान बुद्ध के नाम से कॉल आए आज भगवान बुद्ध को सभी लोग जानते हैं बौद्ध धर्म के संस्थापक इसलिए आपको जब जीवन मिला है मनुष्य का तो इस जीवन का उपयोग आप सुखद कार्य में लगाई आप जाते होंगे रोड पर कोई गरीब हो आप ₹1 निकाल कर देते हो अंदर से कितनी अच्छी फीलिंग आती है उस फिल्म का वर्णन भगवान भी नहीं कर सकते हैं शब्दों में इतना बढ़िया कार्य होता है वह और आप उसकी फीलिंग महसूस करते हो आपने ₹1 दिया बस और ₹1 देने से बानो की दुनिया की खुशियां आपको मिल गई वहां पर आपने सुखद कार्य किया सुखद कार्य करने से ही आप की अनुभूति भी सुखद हुई प्राण ऊर्जा प्राण ऊर्जा की मतलब अंतरात्मा की उर्जा आत्मा की उर्जा आत्मा भ्रमण करती है जब आप सो जाते हो तो आत्मा फिर से निकलती है रिफ्रेश होने के लिए भ्रमण करती है चारों तरफ जब फिर वह आती है आत्मा आपके तुरंत आपकी नींद खुल जाती है या कोई आपको जगाने के लिए आ रहा होता है तो आत्मा की गति इतनी फास्ट होती है कि वह तुरंत आपके हृदय में समा जाती है तुरंत आप जग जाते हो तो अपने आत्मा को अमर बनाने के लिए कुछ अच्छा कुछ सुखद कुछ बेहतरीन कारीगरी की करिए अच्छा बुरा हम सभी लोग जानते हैं बताने की जरूरत नहीं है धर्म अधर्म अच्छा बुरा इसका डेफिनेशन और युग में हर काल में एक ही होता है रावण था जानता था कि मैंने गलत काम किया है 65 70000 साल जीने वाला व्यक्ति 135 4035 36 साल की महिला का पालन करता है शादी करने के लिए रखेल बनाकर रखने के लिए उसका विनाश हो जाता है वह जानता है कि जब मैं यह काम करूंगा तो पूरी लंका का विनाश होगा और भगवान के माध्यम से होगा भगवान ने पूरी लंका को खत्म कर दिया पूरे राक्षस जातियों को मार दिया और लास्ट में वह बोलता है कि मैं आपके हाथों से मरने के लिए ही मैंने ऐसा काम किया था और अपने बच्चों को मरवाने के लिए आपके हाथों से मैंने अच्छा ऐसा काम किया था मेरे सभी बच्चे और हम सभी लोग आज स्वर्ग में जा रहे हैं लक्ष्मण जी को भेजें भगवान श्रीराम तो सर के पास जाकर बैठ गए फिर आन जी स्वयं गाय वहां पर बोले लक्ष्मण ज्ञान लेने के लिए किसी के सर के पास नहीं बैठते हैं उसके पैर के पास बैठते हैं रावण हंसता है कुछ लोग पूछते हैं कि महाराज रावण आप तो दुनिया के सबसे शक्तिशाली व्यक्ति हो आपके पास चतुरंगी सेना है सेना थी आप तीनों लोगों के विजेता हो आज अमृत यू केसरिया पर लेटे हो कुछ देर के बाद आप मर जाओगे रावण जवाब देता है किराम ने हमको मारा क्योंकि राम के पास लक्ष्मण जैसा भाई था और हमारे पास विभीषण जैसा भाई था राम के पास लक्ष्मण जैसा भाई नहीं होता तो भगवान को एक बार नहीं 10 बार इस धरती पर जन्म लेना पड़ता हम को मारने के लिए सीखिए सभी स्टोरी से सुखद अनुभव गलत अनुभव गलत कार्य सुखद कार्य सुखद कार्य का मतलब है अच्छा करें आप अच्छा कर्म करोगे तो ऑटोमेटिक आपको सुख का अनुभव मिलेगा और आपके बच्चे भी सही डायरेक्शन में जाएंगे तो गलत काम आपने अभी तक जितना भी किया है भूल जाइए अब आप सोचिए कि मुझे सुखद काम करना है अच्छा काम करना है इतना अच्छा काम कर काम करना है कि अपने पूरे परिवार को अच्छा बना देना है अच्छा तो बन जाएंगे ऑटोमेटिक आप अच्छा कार्य तो करिए एक बार लगी है लुक्का तेल एक उनका परिवार बहुत अच्छा है परिवार अच्छा क्यों है क्योंकि परिवार के संस्कार अच्छे हैं उनके घर के बच्चे अच्छे हैं क्योंकि उनके घर परिवार का संस्कार अच्छा है उनके माता-पिता ने अपने बच्चों को समाज के लिए जीने के लिए प्रोत्साहित किया है सिखाया है हम लोग का परिवार बहुत बड़ा है जब भी मैं घर जाता हूं तो अपने बड़ी मम्मी से मिलता हूं फिर जो उनसे छोटी मम्मी है उनसे मिलता हूं लास्ट में अपनी मम्मी से मिलता हूं क्योंकि मेरी मम्मी ने यह संस्कार मुझे सिखाया बेटा आप बड़े मम्मी कहां जाएगी बड़े पापा क्यों जाइए पहले हम लोगों का स्थान लास्ट में आता है पहले बड़ों का सम्मान करते हैं तुम बात आप बहुत बड़ी चीज होती है मां को जो संस्कार देगी आप ऐसा ही बनोगे दिखावा कर सकते हो अपने अच्छाई का है कि हम बहुत अच्छे हैं दिखावा ज्यादा दिन तक नहीं टिकता है अब 2 दिन दिखावा करोगे 10 दिन दिखावा करोगे एक महीना दिखावा करोगे चाय का स्टाल दिखावा कर सकते हो हो सकता है कि 1 साल भी दिखावा कर लो दूसरे साल आप का खुलासा हो जाएगा आपके बारे में अगला व्यक्ति सब कुछ जान जाएगा यह कैसे हैं क्या करना चाहते हैं उन्होंने ऐसा क्यों किया उन्होंने ऐसा क्यों नहीं किया तो आप सभी भारतवासियों से मैं निवेदन करना चाहता हूं सुखद अनुभूति के लिए सुखद कार्य करिए सिख धर्म महान धर्म है आगे क्यों है क्योंकि सिख लोग कर्म करते हैं किसी सिख के घर चले जाइए वह आपको अतिथि की तरह पूछता है बिना खाना खिलाया आपको भेजता नहीं है वह आगे नहीं बढ़ेंगे तो क्या आप आगे बढ़ेंगे किसी मारवाड़ी के घर चले जाइए इतना रिस्पेक्ट मिलेगा इतना इज्जत मिलेगा जितना आपको आपके घर ही इज्जत नहीं मिलता होगा तो वह आगे नहीं पड़ेंगे तो कौन आगे बढ़ेगा क्योंकि वह लोग अच्छा कर्म करते हैं इसलिए आगे हैं अतिथि राजपूत के घर चले जाएंगे मैं भी राजपूत हूं वह भी आपको ऐसे नहीं जाने देगा तो आगे लोग कल भी आगे थे आज भी आगे हैं और हमेशा आगे रहेंगे क्योंकि इनके रग-रग में अच्छाई भरी हुई है इसलिए अपने प्राण ऊर्जा को सुखद बनाने के लिए सुखद कार्य करिए सुखद कार्य से सुखद अनुभूति होगी और आपकी आत्मा को शांति मिलेगी धन्यवाद
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आप अपनी प्राणियों के सुखद कैसे बनाएं आप रोज अपने जीवन का हर 2 घंटा प्राण ऊर्जा के लिए समाधान से प्रभावित करें आपकी फ्रेंड हो जा सुधर सक्षम है रहेगा धन्यवाद
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