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वेदों के अनुसार और हमारे धर्म शास्त्र के अनुसार यह व्यवस्था है कि मनुष्य एक स्थूल शरीर में होता है और एक सूक्ष्म शरीर में होता है स्थूल शरीर के अंदर आत्मा प्रवेश करके कार्य करती है अशोक में शरीर में आत्मा के पास कोई शरीर नहीं होता वह सीधे देवत्व को प्राप्त होती है और से बात करती है आत्मा जब तक शरीर में रहती है तो वह हमारे कर्मों के हिसाब से हमारी दिशा निर्धारित करती तो जब आत्मा ईश्वर से मिल जाती है तो यह माना जाता है कि सूक्ष्म शरीर 13 दिन तक वह संस्कारों के अधीन रहती है इसीलिए मरने के बाद दशमा होता है फिर भी होती है एक साल बाद यह मान लिया जाता है कि उनको दूध की बर्फी होती है दर्शी के बाद उनको जो है उनकी शांति हो जाती है और वह आत्मा जो ईश्वर में विलीन हो जाती हालांकि यह हम लोगों के सोचने का धर्म शास्त्र के मरने के बाद आत्मा अच्छे फलों का भुगतान करने के लिए और दुष्कर्म का भुगतान करने के लिए इसी मृत्यु पर आती है सब कर्मों के भुगतान में जो उसके सत्कर्म थे वह को भाग्य बंद करके उसको फायदा पहुंचाते हैं और जो दुष्कर्म होते दुष्कर्म के काम नहीं उसका एक्सीडेंट हो जाता है कहीं उस को कैंसर हो जाता है कई मानसिक रोगी हो जाता है कि को पैसे की कमी होती थी जो उसके कर्मों के दिन जो उसको जो फल भगवान देते हैं उसको भोगना पड़ता है क्योंकि कर्म हमारा करना हम कर्म साथ दें और अनुसार ईश्वर कर्मों के हिसाब से मनुष्य को फल मिलता है यह बात कर सकते हैं तो आप मास्टर में विलीन हो जाती कर्मों के हिसाब से उसको अगला जीवन मिलता है क्योंकि यह शरीर जो है वह आत्मा से निकल जाता जाता है तो अगला सभी दोस्तों मिले तो उसके कर्मों के आधार पर मिलता बकरी का नेता के बकरे का मिलता है कि गाय का मिलता है कि सांप कविता की संदर्भ उसके कर भेज निर्धारित करते हैं इसलिए उसको सूक्ष्म शरीर को भोजन देने के लिए यह राधा और कर्म पूजा की जाती है लेकिन मेरे विचार से जीवित व्यक्ति की अवैध सेवा पूजा वही सबसे बड़ा सलाद होता है लेकिन क्योंकि परंपरा चली आ रही है उसको हमें नमन करना है हम उसको स्वीकार करते हैं
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मृत्यु के बाद श्राद्ध में क्या जाता है जिससे जिसके परिवार के सदस्य की मृत्यु हुई है उसके परिवार को संतोष हो जाए उसे इस तरह की नीतियों में उलझा दिया जाता है और उसे संतोष दिला जाता है कि जो आप कार्य कर रहे हैं इससे उस मृतक को बहुत ही शांति मिलेगी और वह अच्छे से अपनी आत्मा के साथ जिएगा
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ले चुके बात क्यों करते हैं शादी मान्यता है हिंदू धर्म में मरने वाले व्यक्ति अपनी बच्ची इच्छाएं पूरी नहीं हो पाती है इसलिए जस्टिस दीपक की मृत्यु हुई है उसके टीका ब्राह्मण को उनके नाम का भोजन कराते हैं श्रद्धा के दान कपड़े लगते अनाज वस्त्र देखते हैं रखना देते हैं ताकि उस व्यक्ति की आत्मा को शांति मिले और उनके प्रति मन में श्रद्धा भाव रखते हैं सर आज बनाना बड़ी बात नहीं है अपनी पिक क्यों के लिए 1 दिन निकालना एक संस्था ने एक संस्कृति है यह एक हमारे कर्मों का मध्य ठंड का एक हिस्सा है लेकिन जीवित रहते हुए अगर हम उनके प्रति श्रद्धा रखते हैं उनके प्रति सम्मान रखें तो सच्चा श्राद्ध तो हम उनके जीवित रहते ही कर लेते हैं तो शायद हमें जीवन में कभी दुखद घंटे का सामना ना करना
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लेकिन किसी की मृत्यु होती है ना तो उसके प्राण निकल जाते हैं और साथ में आत्मा भी चली जाती है आत्मा सीधे अपने एंड डेफिनिशन तक नहीं जाते हैं आत्मा लोगों से होते हुए जाते हैं तो क्या होता है कि यह आत्मा जो अभी शरीर छोड़कर निकल गए हैं यह उस लोक में भी जाती है जा सकती हैं और बहुत दुखी आत्मा वहां पर रहती हैं जो लोग पृथ्वी के साल में एक बार बहुत करीब आ जाता है और वह आत्मा है वहां पर रहते हैं और जगदीश चांद का समय होता है इस समय वह लोग पृथ्वी से बहुत करीब होता है जब पृथ्वी से बहुत करीब होता है मतलब हम लोगों से वह लोग बहुत करीब होता है और उस श्लोक में हमारे जो लोग हैं सगे संबंधी वो जो चले गए हैं उनके हाथ में अगर वहां पर रहती हैं तो वह इतने पास हो जाते हैं हम कि वह एक्सपेक्ट करते हैं जी भाई हम उनको उनको भोजन कराएं या हम उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए कोई काम करें कोई कारण करें जिससे उन्हें संतोष मिलेगा और वह वैसा करने पर जब हम 7 महीने में या यह तो दो-तीन हफ्ते होते हैं इनमें जब हम ऐसा कार्य करते हैं हम अपने पितरों की पूजा करते हैं जल अर्पण करते हैं तो उनकी आत्मा जो इस लोक में है उनको तृप्ति मिलती है और वहां से मुक्त हो जाते हैं और यहां से चले जाते हैं नहीं तो क्या होता है वह इस आशा में रहते हैं कि मेरे और परिजन वह मेरे बारे में सोचते हैं नहीं सोचते और थोड़ा मेरे बारे में आप कुछ सोचते हैं तो मेरे कल्याण के लिए अगर कुछ ऑफ रिंग ना सुधर जाएगा तो इसी कारण है क्योंकि वहां एक्सपेक्टेशन होती है आत्माओं को हमारे पर फर्ज बनता है दायित्व होता है कि हम अपने परिजनों का चौकिया शरीर त्याग चुके हैं उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए यह समय बहुत बेस्ट होता है जब वह लोग हमसे बहुत करीब होता है पृथ्वी के हाथों में आओ सारे अनियम करनी चाहिए ताकि उनकी आत्मा को शांति मिले
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बिट्टू शराबी शब्द जो है उसके व्यक्ति को हम देखें तो उसका मूल शब्द है श्रद्धा श्रद्धा का एक अर्थ है सम्मान देना भक्ति करना अपनी चेतना को केंद्रित करना और आत्म निष्ठ गुना आंतरिक बन्ना इस पे सब सारे अर्थ श्रद्धा शब्द का अर्थ है उस श्रद्धा ही सारे प्रगति का कारण है और श्रद्धा का एक विशेष जो अर्थ है वह है आदर सम्मान जिन लोगों ने हमको इस दुनिया को लाए हैं जिनके लिए हम हैं क्योंकि वह कारण हैं एक तो मुख्य की है कि ना तो इसलिए के लिए गुस्सा व्यक्ति के लिए हम हैं हम हैं तो कुछ एक अगर हम उच्च दृष्टि से उसको देखें तो परमात्मा के कारण भगवान के कारण परम चेतना के कारण ही हम हैं हम चेतना जो कुछ बनाते हैं माध्यम बनाकर करते हैं जो हमारे मां-बाप होते हैं पूर्वज होते हैं जिनके लिए हम हैं वह माध्यम से उस पर मंत्रणा की इच्छा है उनके पति के साथ बैठता है जितना की दृष्टि से हम पर कितना के साथ एक बच्चा हमारे संस्कृति में हमारे धर्मों में पुत्र को संतान कहा गया है संतान का मतलब है एक्सटेंशन एक्सटेंशन ऑफ द सेंड कौन से उस चेतना का एक क्योंकि मैं अपने मां-बाप की चेतना का एक विस्तार मां-बाप तो दूर लोग हेतूल अलग-अलग क्षेत्रों के लोग हैं दोनों भाग के परंतु एक साथ मिलते हैं तो अपनी चेतना अपने स्वभाव को एक करके विस्तारित करते हैं उनकी चेतना का एक विस्तार रूप से मां-बाप के चेतना का संतान जो है वह पिक विस्तारित रूप है इसलिए गुस्सा इतना से सटे के संबंध हमेशा रहता है यह कहा जाता है कि सात जन्म तक वह संबंध बैठा रहता है जब मृत्यु होता है किस व्यक्ति का चेतना के साथ क्योंकि हम युक्त है तो उनके श्रद्धा में उनके प्रति श्रद्धा ऑर्डर उनके जो अच्छे गुण था उनको विकसित करना अपने अंदर उसके प्रति सम्मान देना उससे क्रेडिट रूप में होता है उनका स्मरण करना होता है श्रद्धा आर्डर देना पूर्वजों को दे दो मैं इसलिए विदेशी खुद भी कहता है कि नमः ऋषि भैया पूर्व वेद पूर्वज एटा की कृपया हमारे पूर्वज हम से पहले जो पैदा हुए पूर्वी फिर हम हमारे पहले जो थे जिन्होंने रास्ता दिखाया पूर्वजों नहीं हम को रास्ता दिखा हमारे लिए मार्ग का निर्माण की उस मार्ग में चलने का जो कौशल है उसको भी सिखाए हमको उनके इतना आदर करना सम्मान करना यह हमारा एक धार्मिक कर्तव्य है एक विशेष दिन में जब मृत्यु होता है उनका श्राद्ध होता है कई प्रकार की चर्चा की जा सकती है प्राण है इस शरीर से आत्मा है शरीर तो पंच तत्वों में मिल जाता है प्राणिक सकता जो है हमारे अंदर वह प्राणिक सत्ता प्राणिक जगत में दिन होता है मन की चेतना में मंकी अपने साथ एक कान से जो कुछ हुआ है सबको इकट्ठा करके फिर वह आत्मा की जगत में चला जाता है पानी होता है कि जो हमारे अंदर के जितने काम नावा सुना है दूध हेलो फेमद नात शरीफ रंभा अहंकार भूख प्यास यह सब प्राणी चेतना का एक क्रिया है पानी कितना कितनी आनी है संतुष्टि भी बहुत रहता है इसलिए कहा जाता है कि जो पिंडदान करते हैं हम उनको और जो इसे भोजन समर्पित किया जाता है कि उनके और अगर प्राणिक सत्ता में अगर इस प्रकार की और संतुष्टि रह गई उस प्राणिक सकता है उनका आप प्राणी जगत में घूमता फिरता रहता है कि वाइटल वर्ल्ड है जिसमें हुकम ता फिरता रहता है जब तक वह असल दोस्ती समाप्त नहीं हो जाता है संतुष्ट नहीं होता था एक विषय और यह प्राणी जगत एक्सक्लूसिव जगह अंदर से उनका स्मरण करते हैं भक्ति और श्रद्धा के साथ आदर के साथ सम्मान के साथ धारण करते हैं जब उनके बारे में सोचते हैं और उन अर्पण करते हैं तब जाके अपनी तारीफ जरूर जोड़ सकते हैं उससे भी मुक्त हो जाता है नहीं तो वह अगर प्रबल है तो वह प्राणिक सत्ता किसी भी रूप में प्रकट हो सकता है लेकिन आत्मा को उसके साथ कोई संबंध नहीं आता तो जगह पर जाता है उसका प्राण प्राण की कहानी कुत्ता के साथ कोई संबंध नहीं रहता है मन के साथ संबंध रहता है लेकिन प्राणी सप्ताह के संबंध में रहता है लेकिन शरीर मन प्रार्थी को ज्यादा कर मन से जो कुछ होता है पिक्चर के साथ लेकर वर्ल्ड लार्जेस्ट एग्जांपल देता हूं हमारे वेदों पुराणों में किसे कहा गया है कि अगर यह यह कर्म कोई करे तो इसको वह उसकी योनि में जन्म लेना है यह कुत्ता बनकर जन्म ले सकता है यह शुक्र बंद कर सूअर बन कर जन्म ले सकता है यह बिल्ली बन कर जन्म ले सकता है यह आप मत कर जन्म लेता है आध्यात्मिकता की दृष्टि से हम उसे देखें तो यह संभव नहीं क्योंकि हम विकासशील प्राणी विज्ञान हैं हम अगर विचार करें तो विकास में हम हमेशा आगे बढ़ते हैं पीछे आना नहीं होता है अगर मानव विकसित होकर हम अगर मानव शरीर को प्राप्त तुम्हें पसंद नहीं तो फिर से क्या हमारी प्लान लिखकर ग्रुप में डाल सकता है कि हमारे पुराने साथी को बढ़ता रहता है मटेरियल को शक्ति खत्म हो जाता है फिर वह प्राणी मर जाता है वह सैनिक सत्ता भी के अंदर भी वही संतुष्टि आ जाती हो जाता है पुराणिक का अनुरोध किया और उसके पसीना निकले और एक-एक बिंदु पसीना एक एक राक्षस के रूप में कुछ सूचना प्रबल है कि वह लोभ क्रोध अधिक लोग अत्यधिक भाषणा कामना पशु के रूप में किसी के सारे पशु प्रवृत्तियां है पशु के रूप में जान ले सकते हैं लेकिन आत्मा से संबंध नहीं है पानी की सत्ता को जोड़ा गया है आत्मज्ञान के पद पर हम चले हैं तो वह प्राणिक सत्ता भी आत्मा के प्रकाश से प्रकाशित होकर पवित्र होकर उसके पूर्णता को प्राप्त कर सकता है या लोगों मोदक करो दमा दमा दे उसे मित्र पास अधिक प्रवृत्तियां है यह सारा प्राणिक सट्टा से बिक सकता है तब जाकर बुक प्राणिक सत्ता अपने वाइटल हायर वाइकल में उलझा के रह सकता है लेकिन उसके उसका कोई जन मन नहीं तो हम देखें तो शराब दिन में जो हम्मा भोजन प्रदान करते हैं हर प्रकार के चित्रकार प्रशिक्षण प्रदान करते हैं और जो आत्मा के बारे में उनके बारे में और भी भागवत पंडित प्रकार इस प्रकार प्रेम करते हैं तो इस भाग को हमको रखना पड़ेगा जब प्राप्त करते हैं आपकी पूरी तरह किया जाता है खुद भी चाहिए क्यों नहीं करना चाहती करना चाहता क्यों करते हैं यह समझ लेना चाहिए लेकिन बहुत महत्वपूर्ण है कि आपने अंदर उनके प्रति कितनी श्रद्धा और कितनी पेमेंट इतना आदर सम्मान करते हैं ना उनके बारे में हम सोचते हैं और किस प्रकार हम उनको उनका आदर करते रहते हैं महत्वपूर्ण है जान तो रिश्वत प्रसाद स्वयं ही एक विज्ञान है जो होना चाहिए लेकिन अच्छे समझ के साथ इस रात के बारे में मेरा विचार है
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ऐसा माना जाता है कि श्राद्ध पक्ष में हमारे जो वितरण होते हैं वह पृथ्वी के ऊपर आते हैं 16 दिनों के लिए और उन्हें अपने घर परिवार से आशा लेती है कि वह उनकी आत्मा की प्राप्ति के लिए उन्हें अच्छा भोजन प्रसादी कराएंगे वह देखने आते हैं कि उनके परिजनों को भूल तो नहीं गई है याद करते हैं कि नहीं करते हैं इस कारण से पृथ्वी पर मनुष्य लोग श्राद्ध पक्ष में श्राद्ध करके अपने पूर्वजों को याद करते हैं और उनकी आत्मा शांति के लिए प्रार्थना कर
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बच्चे छपरा से बात क्यों करते हैं उसका धर्म के हिसाब से कुल 1 दिन का देहांत हो चुका हूं अच्छी जगहों पर हो इसलिए साफ किया जाता है ठीक है और उनको भी लोग याद कर लिया करते हैं जिनका देहांत हो चुका है तो शायद किसी के बेटे रहे हो पति रहे तुझे चिपका रहे हो तो फिर डिलीट एप्स है वह सब हमको याद करे इस बहाने
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मोदी के बाद क्यों करते हैं श्राद्ध देखो भैया मैं आपको एक बात बता देना चाहता हूं कि मृत्यु के बाद में इसलिए करते हैं कि जो आपने सुना होगा उत्तर पीपल का पेड़ और एक होता है बरगद का पेड़ पीपल का पेड़ है उसको क्या है कि यह जो कोई भी होते हैं ना के ऊपर आप देखना इसी समय श्राद्ध पक्ष में हैं इनके वह लाल लाल रे के उल्टा लिखता है और जिसको बोकोवा निकलता है और निकलने के बाद में वह अपने बीच के माध्यम से अपने देश के माध्यम से यह पीपल का पेड़ उत्पन्न करता है तो अगर वह खुद खाएगा नहीं तो मेरे को यह बताइए कि जो कौवे के बच्चे होते हैं वह क्या आएंगे उसका भरण पोषण कैसे होगा क्योंकि इस समय वह मतलब हुआ है वह यहां मतलब है अभी अपने बच्चे पैदा करते हैं इस समय और फिर वह भूखा रहता है तो भूखा रह जाता उसके बच्चे के ऊपर कैसे इस महीने में अगर कौवे को हमें पूजा देनी है तो हमें तो करना ही पड़ेगा और इसलिए उन्होंने नियम बनाए की मृत्यु के बाद में जो भी मतलब अपने पूर्वजों का श्राद्ध करेगा उसके घर में धन धन की कमी नहीं रहेगी और उसका वंश पड़ेगा और उसकी आत्मा को शांति मिलेगी और किसलिए आज हम रात में पिंडदान करते हैं और वे को चीटियों को गाय को अपने रिश्तेदारों को हम भोजन होते हैं और उनके नाम का गायन करते हैं धन्यवाद
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