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श्री कृष्ण भवन तक निति अध्यात्मिक मतलब एक पूरा व्यक्तित्व अध्ययन होता है यदि आध्यात्मिक आध्यात्मिक एक बार अध्यापक अध्यापक को प्राप्त हुए उसके बाद दुख सुख A1 प्लस बी हुआ जा सकता कि हो सकता है कि आध्यात्मिक रुकावट नहीं है उसे मेंटेन करना चाहिए आपको पता होना चाहिए कि उस रुकावट ना हो मेंटेन कर सकूं अध्यात्मिक मिल पाओगे तुम राजी नरसी मॉर्निंग में प्रकट हुए प्रथम अग्रसेन महाराज की कृपा से बहुत है मन से ग्रस्त है और टॉप पर भगवान के भक्त हैं शुद्ध भक्त हैं तो अध्यात्म में शादी कोई रुकावट नहीं है वह आपके ऊपर हर संडे को फिजिकल होता है कैसे कर सकते हैं लेकिन अगर सोचो ब्रह्मचारी भाषण विच बैटरी तो शादी कर लो और उन्हें कोई इंटरेस्ट नहीं है तो फिर आप ऐसा नहीं है
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हेलो मैं मोटिवेशनल गुरु प्रमोद कुशवाहा जबलपुर एमपी से लोकल पर आपका स्वागत करता हूं आपकी हर समस्या का समाधान हेतु मेरा व्हाट्सएप नंबर 90980 31929 है आपके हर समस्या का समाधान करने हेतु मैं आपके साथ हूं किसी ने प्रश्न किया है क्या शादी करना अध्याय में एक रिपोर्ट रुकावट है भी और नहीं भी रुकावट आ गए तब आपका पार्टनर समझदार ना हो अगर पाटनर आपका समझदार है तो कोई भी रुकावट नहीं है अगर वह समझता है आपको तो कोई बात नहीं
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वह आध्यात्मिक राह में रुकावट नहीं है जैसा कि पूर्व काल में हमने देखा है कि बहुत से ऋषि विवाहित होते थे और वैवाहिक जीवन के साथ ही अध्यात्म की ओर अध्यात्म में लगे रहो परंतु इसके लिए आवश्यक यह है आपका जीवन साथी कैसा है यदि आपके जीवन साथी भी अध्यात्म की ओर जाना चाहती है और आप दोनों संयुक्त रूप से वंदन करते हैं और दिखाए हुए सत मार्ग पर चल सकते हैं तो विवाह बाधा नहीं है
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क्या शादी करना आध्यात्मिक राह में एक रुकावट है नहीं शादी करने में कोई रुकावट नहीं है शादी तो आप चाहे कर सकते हो शादी करके भी आध्यात्मिक शक्ति
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नहीं ऐसा बिल्कुल भी नहीं है विवाह करना है शादी करना एक अलग चीज है और आध्यात्मिक होना अलग चीज है अगर विभाग करने से शादी करने से आध्यात्मिक राह में रुकावट आती है तो शायद भगवान श्री राम विवाह नहीं करते कृष्ण भगवान भी विवाह नहीं करते हमारी जितनी भी देवी देवता ही हुआ है जितने भी हमारे जो भगवान हुए हैं उन सब के साथ में कोई न कोई स्त्री है उन सब ने विभाग किए हैं उसके बावजूद को भगवान के लाए हैं और वह तत्व की राह पर चले हैं इसलिए यह कोई बड़ा नहीं है क्या शादी करके आ जा सकते आध्यात्मिक होने के लिए आप को पवित्र मन से आपको धर्म या आपने जो और जाता है उसकी खोज करनी पड़ेगी आपको उसका पट्टा ध्यान करना पड़ेगा आपको प्राप्त करना पड़ेगा आप शादीशुदा है या नहीं है उसे कोई फर्क नहीं पड़ता
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मेरी जानकारी के अनुसार शादी करना आध्यात्मिक राह में आंखों रुकावट नहीं है रुकावट है आपका मुंह अगर आपकी शादी की है तो आप उस परिवार की जिम्मेदारी को पूरी तरह से निर्वहन करते हुए भी आप आध्यात्मिक बन सकते हैं ऐसे बहुत उदाहरण हैं आप उन सब महापुरुषों की जीवनी आप पढ़ सकते हैं जो शादी भी किए हुए थे गृहस्ती भी थी और उसके बाद भी वह बहुत बड़े आधारित पुरुषों में धन्यवाद
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मित्रों नमस्कार मैं दिनेश प्रस्तुत करें नहीं कदापि नहीं क्योंकि शादी करना जो है दो आत्माओं को पवित्र मिलन है और एक दूसरे की पूर्ति करते हैं और अगर हम संयम साधना के द्वारा आपके जीवन को पर पहुंचे तो निश्चित रूप से शादी अध्यात्म की राह में और आसान बना देती है अच्छा जीवन साथी हमेशा ज्यादा ही साबित होता है पति पत्नी रात में पत्नी का रूप होता है दिन में वह माता का रूप होता है जब हमारी मां दर्शन करती है तो गुरु के रूप में हो जाती है और जब हमारे लिए सेवा कार्य करती है घर की नौकरानी नहीं हो जाती इस प्रकार पत्नी के विभिन्न रूप हमको देखने को मिलते हैं और यदि हम अपना दृष्टिकोण सही रखें अपने जीवन में चार बातों का समावेश कर ले चार प्रकार के सईया बना ले दिनेश ने सिर्फ मुझसे जीवन आनंद में बन जाएगा अध्यात्म की राह और आसान हो जाएगी 14 संयम जो है इंद्रिय संयम समय संयम विचार सेव अर्थ सहित इंद्रिय संयम नवंबर नजर का पालन करें और अपने को संयमित रखें और एक नियम 10 तरीके से जो है पत्नी के साथ संभोग करें जीवन में आनंद ही आनंद रहेगा अर्थ संयम पैसों पर संयम रखें फर्जी ना करें इसी प्रकार विचार सैया सुविचार माया करते हैं फिर बताया करते हैं तो उनको नाटक करके अच्छे विचारों का समावेश अपने अंदर करें खाली बैठे उसने बर्बाद किया करते हैं और उसको अगर नियोजित ढंग से अपने उन्नत के मार्ग में लगाएं तो निश्चित रूप से समय तुम्हारे लिए भूल बड़ा वरदान साबित हो सकता है इंद्रिय संयम समय संयम विचार से हर समय यह चारों संयम अगर जीवन में हम बना करके शादी का आनंद लेते हैं निश्चित रूप से अध्यात्म की राह आसान हो जाती है और हम ईश्वर तक जरूर 523 और हमारा संभल बनके हमारा घर बल्कि तुम्हारा बेड़ा पार करता है वह आत्मा परमात्मा का मिलन होता है धन्यवाद
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नमस्कार आपका प्रश्न है क्या शादी करना आध्यात्मिक राह में एक रुकावट है उत्तर है नहीं अध्यात्म के लिए नर नारी के बिना अधूरा है जैसे शिव शक्ति के बिना सब रूप में हो जाते हैं अतः शादी अध्यात्म के दृष्टिकोण से कभी रुकावट नहीं है बल्कि आध्यात्मिक रास्ते में उसे और सहयोग मिलता है धन्यवाद
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जी बिल्कुल ऐसा नहीं है कि शादी करना अध्यात्म की राह में रुकावट है ऐसा बिल्कुल नहीं आपने देखे होंगे बड़े बड़े गुरु महागुरु ऋषि मुनि जिनके पुत्र पुत्र होते थे और वह अध्यात्म की राह पर ही चलते थे अब रामायण देखते हैं महाभारत देखते हैं आप या कोई भी ग्रंथ पढ़ते हैं उसमें देखिए हर ऋषि मुनि जो अध्यात्म में रहते थे उनके भी पुत्र हुए हैं और उनका भी एक सामाजिक दायित्व था जो निभाते थे वह लोग और वह अपना खुद का अपना परिवार होता था उनका पत्नी होती थी उनके बच्चे होते थे उनके मां बाप भाई बहन सब होते थे और जिनके साथ रहकर वह आध्यात्म भी करते थे और अपना सामाजिक जीवन भी जीते थे तो शादी कोई रुकावट नहीं है रुकावट है आपके मानसिक संतुलन आपके जो दिमाग में ख्याल आते हैं जो विचार आते हैं वह रुकावट है तू जो रुकावट करने वाले विचार आए हैं उन्हें दूर हटा दीजिए और अध्यात्म में लग जाइए और शादी भी कीजिए
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नहीं आप सही अलसी जीवन की तो दोनों मिलकर में बिठा सकते हैं हमारे यहां तो कहा भी गया है 373 भोजन तथा क्या पूर्वक वो करो
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जी बिल्कुल भी नहीं शादी करना आध्यात्मिक मार्ग में रुकावट नहीं है अगर आप शादी आत्मा से कर रहे हैं जो आपके वैचारिक मेल से हैं यानी चीन के साथ आपके आपका वैचारिक मेल हो जो आपकी ही लाइन से हो आध्यात्मिक मार्ग को समझते हो अगर ऐसी आत्मा से आप जोड़ते हैं तो 7 दिन में कोई भी रुकावट क्यों की शादी न करना या शादी करके ही मोक्ष प्राप्त करना यह दोनों ही बातें सही नहीं है कि परमात्मा कहते हैं कि आप साथी ना करके भी परमात्मा प्राप्ति कर सकते हैं और शादी करके हम आत्माएं यहां उदाहरण देते हैं कि ढूंढ रहे खुश रहो खुश रैना मोक्ष ध्रुव प्रह्लाद और पार हो गए कि कृष-3 ने कह दिया कि अगर गृहस्ती में जीवन जीते जीते डूबा परलाद जैसी आत्माएं पार हो गई फिर कृष 3 में कोई दोष नहीं है और अगर बिना शादी करवाने से ही आत्मा पर हो तो फिर जो यह खुश रहे घूमते हैं तो यह तो हम में सबसे पहले पार हो जाते हैं इसलिए शादी करना या न करना इसका कोई लेना-देना नहीं है आप शादी करके भी पा सकते हैं और रुकावट तब आएंगे जब आपके वैचारिक में से आसमान में हो तो
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शादी करना आध्यात्मिक राह में रुकावट नहीं है अगर आप किसी कथा में महाभारत में रामायण में आपने से बहुत से वर्णन सुने होंगे कि फलां ऋषि हैं उनकी पत्नी फलाना श्री कृष्ण जहां पढ़ते थे वहां गुरु भी थे और गुरु माता की थी अध्यात्म को आप दूसरे नजरिए से समझिए अध्यात्म जो है आत्मबोध है उसमें रुकावट नहीं है वह यह नहीं कहता कि आप अपनी जिम्मेदारी ओं को छोड़कर केवल में बैठकर के सन्यास धारण करने नहीं अध्यात्म है अपने आपको जानना इस दुनिया को जानना है इसके शख्स को जानना इसकी रचना को जानना पेड़ रावन फुल हवा इनको पहचान ना इनकी शक्तियों का ज्ञान होना इसके लिए आपको एक जीवनशैली अपनानी पड़ती है हर काम का अपना निश्चित समय तय करना पड़ता है पूजा-पाठ का ध्यान का अपने परिवार के लिए अपनी रोजी-रोटी कमाने के लिए हर समय एक निश्चित होता है अगर आप अपने जीवन को इस तरह से एक इस प्रारूप में रख लेते हैं कि इस वक्त मुझे यह करना है इस वक्त मुझे योगा करना है इस वक्त मुझे ग्रंथ का ज्ञान इस वक्त मुझे माला फेरनी है इस वक्त मुझे भगवान के ध्यान में रहना है वहां शादी कोई रुकावट नहीं है कोई यह नहीं कहता कि आप शादी ना करें शादी ना करने का अध्यात्म से कोई संबंध नहीं है
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क्या शादी करना आध्यात्मिक राय में रुकावट है बिल्कुल नहीं अगर आपके अंदर दृढ़ इच्छाशक्ति है और इंद्रियों का अनुशासन और नमन आपका अच्छा है तो क्यों अध्यात्म कर रहा है अनासक्त गिराए उदासीन का किराया ट्रेन किराया की शादी कहीं बिल्कुल भी बहुत सारी गृहस्थ संत एवं महात्मा है जो इस संसार में अपनी वाणी से अपने आचरण व्यवहार से लोगों की जगह स्थित रामकृष्ण परमहंस का उदाहरण दीजिए उनकी शादी मां शारदा से हुई और उनकी पत्नी इतनी ज्यादा थी अपनी पत्नी से श्रद्धा हुए रेल के स्थान पर श्रद्धा वासना के स्थान पर भक्तों का भाव जागृत हो गया और उन्होंने ऊर्जा एवं शक्ति का केंद्र समझा और रामकृष्ण परमहंस की आध्यात्मिक और
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जिस तरह से हम शादी करते हैं कि हमने किसी के ऊपर के रूप रंग को देखा उसका स्टेटस देखा और हमने सोचा कि यह व्यक्ति मेरे लिए बहुत सहायक होगा तो हम एक शादी का बंधन में बंध जाते हैं दरअसल शादी एक कंस्ट्रक्ट की तरह है उसमें आपको सब कुछ नहीं मिलेगा कुछ सुविधा मिलेगी तो कुछ उसके कारण और सुविधाएं भी होगी जब आप शादी में जाएं तो कोशिश करें कि आप दोनों के बीच मैत्री भाव कैसे विकसित हो एक दूसरे का सम्मान एक दूसरे का स्वीकार उसकी तमाम कमियों के साथ भी स्वीकार करके उनमें धीरे-धीरे एक अच्छा वातावरण निर्मित करना एक दूसरे के उसमें हाथ बटाना अगर हम यह प्रयोग करते हैं तो हमारा विवाह भी धीरे-धीरे मैत्री में रूपांतरित हो जाता है और फिर यह हमारे किसी भी जीवन यात्रा में रुकावट नहीं सहायक हो जाता है धन्यवाद
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शादी करना अध्यात्मिक राम में रुकावट हो भी सकता है और नहीं भी अगर हमारी शादी ऐसे व्यक्ति से हो जाए जिसका हमारे साथ तालमेल ना बैठे तू बहुत दुख की बात है अगर तालमेल बैठ जाए तो बहुत दुख की बात है परंतु फिर भी खुद का भी काम आता है और परिस्थिति जैसी लड़कियों के लिए ताकि का कुछ और मतलब होता है लड़कों के लिए कुछ और लड़कियों को दूसरे के घर जाना है उसकी एक व्यक्ति से मानो शादी हुई परंतु उसके साथ कितने लोग जुड़े होते हैं कितना मुश्किल होता है किसी के घर में रहना यह कोई बच्चों का खेल नहीं होता इंसान में थकान भी होते हैं बहुत सी ऐसी चीज होती है कि इंसान का मन हमेशा एक जैसा नहीं रहता और इंसान को दया की बहुत जरूरत होती है इंसान एक सुखमय जीवन में ही सही तरीके से जीत सकता है अगर हम दुखी हो जाए तो अध्यात्म में भी फिर हम उतनी अच्छी कर नहीं चल पाते इसलिए किसी के कहने से यह नहीं सोचना चाहिए कि शादी रुकावट नहीं है रुकावट इतनी हो सकती है कि हम सोच भी नहीं सकते लड़कियों के लिए दूसरे के घर जाना बहुत ही मुश्किल होता है जो इस चीज को महसूस करता है वह जानता है हमें अपने जीवन में जो चाहिए हम गरीबी में खेल सकते हैं परंतु मानसिक संतोष बहुत ज्यादा जरूरी होता है इंसान का जब मन परेशान हो जाता है वह किसी कार्य को ढंग से नहीं कर पाता क्योंकि यह होता है कि जैसे वह अपने घर में किस मॉल में रही है अगर वैसा ही मुगलों ने नहीं मिल पाता उसे अलग मिल पाता है तो कितना मुश्किल होता है करने में लड़कों को अपने ही घर में रहना होता है अपने घर में रहना बहुत आसान होता है परंतु अगर हम इस बात को बिल्कुल एक नॉर्मल तरीके से ले यह तो ऐसा ही होता है नहीं हमें यह सोचना चाहिए कि लड़की की भी आत्मा है आत्मा कितना दुख पाती है जब उसको एक गुलाम कैसा जीवन जीना पड़ता है हमें यह सोचना चाहिए कि परमात्मा का बच्चा है उसको कैसे रखना है और यह दूसरे पर निर्भर करता है तो अगर आप भक्ति मार्ग में बहुत ज्यादा है और आप अकेले रह सकते हैं या अकेले भी नहीं किसी और तरीके से अपनी बहन भाइयों के साथ अच्छी तरह सकते हैं तो यह जरूरी नहीं है कि आपको शादी ही करूंगी क्योंकि अगर शादी करके निभाना पाए तो यह भी दूसरे के साथ धोखा ही होता है तो इसलिए यह फैसला बहुत ही माता-पिता को भी सोच समझ कर लेना चाहिए
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देखिए आपका प्रश्न है क्या शादी करना आध्यात्मिक राम रुकावट है जी नहीं बिल्कुल नहीं शादी करना और अध्यापक शादी करना किसी तरह से आप जाते ग्राम में या ईश्वर प्राप्ति में भक्ति मार्ग में कोई रुकावट बसंती आप अपनी इंद्रियों का उचित उपयोग करें देखें हिंदुओं का सही ढंग से उपयोग करने वाला व्यक्ति भी आ जाता है बेस्ट व्यक्ति भी बहुत बड़ा संत हो सकता है यह हमारे महापुरुषों ने सूचित किया है कि हमारे प्राचीन काल में जितने ऋषि मुनि की सबसे प्राचीन ऋषि मुनियों की बात की जाए तो भगवान राम ने जिन ऋषि-मुनियों के दर्शन किए महर्षि अत्रि उनकी पत्नियां थी और भी जितने महर्षि ओक यहां गई जितने ऋषि मुनियों के अंदर सभी गृहस्थी सभी ग्रह धर्म का पालन करते हुए अपना बना रही थी यदि उनकी पुत्र का रविदास जी कितने बड़े संत में संत तुकाराम महाराष्ट्र संत तुकाराम एकनाथ यह सभी संतो है यह कहते हुए इन्होंने किया तो यह नहीं कह सकते हैं कि गृहस्थ धर्म शादी करने के बाद व्यक्ति आध्यात्मिक प्रगति नहीं कर सकता शादी करना एक अलग बात है और शादी करते हुए भी आदमी अपनी आध्यात्मिक प्रगति कर सकता है बशर्ते वह शादी में शादी को एक अलग मामला माने और आध्यात्मिक उन्नति की
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शादी करने से आध्यात्मिकता में कोई रुकावट नहीं आती है क्योंकि आध्यात्मिकता का अर्थ है सत्य की खोज करना तो ऐसा कुछ नहीं है कि हम शादी करने के बाद सत्य की खोज नहीं कर सकते बल्कि आप अगर इतिहास को देखेंगे बड़े-बड़े ऋषि मुनि हुए हैं जिन्होंने शादी करी है ग्रस्त जीवन जिया है और वह आध्यात्म के रास्ते पर चले हैं धन्यवाद
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क्या शादी करना आध्यात्मिक राह में एक रुकावट है बिल्कुल नहीं आध्यात्मिक राह में शादी करना कोई रुकावट नहीं है बल्कि शादी करके जवाब गृहस्थाश्रम में इंट्री करते हो तो वहां से भी आप अपनी आध्यात्मिक राह को शुरू रख सकते हो क्योंकि हम सभी मानते हैं कि संभोग करना एक आध्यात्मिक विकास में एक रुकावट बनती है कहीं ना कहीं तो ऐसा कुछ नहीं होता क्योंकि संभोग करना एक आध्यात्मिक चरण है इस बात को हमेशा ध्यान रखिएगा लेकिन संभोग करना एक सही समय पर करना बहुत जरूरी होता है यह आवेश में आकर बस मन किया तब इस तरह से करना यह गलत होता है क्योंकि इसका सही समय निर्धारित किया गया है हमारे ग्रंथों में करता हूं कि आपको मेरा जवाब पसंद आया होगा मैं रेकी ग्रैंड मास्टर सचिन पाठक थैंक यू वेरी मच
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वापस आएगी के शादी करना आध्यात्मिक राह में एक रुकावट है तो देखिए दोनों अलग-अलग चीजें हैं अगर आप शादी करना चाहते हैं मतलब आप गृहस्थाश्रम में प्रवेश करना चाहते हैं और अगर अध्यात्म को किराए पर जाना चाहते हैं तो इसका मतलब है क्या बिक सन्यासी जीवन जीना चाहते हैं तो दोनों चीजें ही बिल्कुल अलग अलग है पहले आप अपना मन सेट करिए कि आप करना क्या चाहते हैं अपनी लाइफ में आप मुझसे क्या चाहते हैं उसके बाद ही निर्णय लें कि आपको करना क्या है आपका दिन शुभ रहे धन्यवाद
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